लोको पायलट एक महत्वपूर्ण रेलवे पद है, जिसकी जिम्मेदारी हजारों यात्रियों और कार्गो की सुरक्षित ढुलाई करना है।
योग्यता और चयन प्रक्रिया
लोको पायलट बनने के लिए उम्मीदवारों को किसी मान्यता प्राप्त बोर्ड से 12वीं कक्षा में कम से कम 50% अंक प्राप्त करना होता है।
साथ ही किसी मान्यता प्राप्त विश्वविद्यालय से ग्रेजुएशन की डिग्री और संबंधित ट्रेड में आईटीआई सर्टिफिकेट होना चाहिए।
चयन प्रक्रिया में पहले लेवल CBT (कंप्यूटर आधारित परीक्षा), दूसरे लेवल CBT, सीबीएटी/कंप्यूटर आधारित एप्टीट्यूड टेस्ट और दस्तावेज सत्यापन शामिल हैं।
वेतन और लाभ
लोको पायलट का वेतन 7वें वेतन आयोग के अनुसार 19,900 रुपये से 35,000 रुपये तक है।
इसके अलावा कई प्रकार के भत्ते और अन्य लाभ भी मिलते हैं।
इस प्रकार, लोको पायलट एक चुनौतीपूर्ण लेकिन प्रतिष्ठित रेलवे पद है, जिसमें उच्च वेतन और कई लाभ मिलते हैं।
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लोको पायलट बनने के लिए विशेष ट्रेनिंग की आवश्यकता होती है:
लोको पायलट बनने के लिए उम्मीदवारों को सबसे पहले रेलवे द्वारा आयोजित एंट्रेंस परीक्षा में सफल होना होता है।
इसके बाद, चयनित उम्मीदवारों को असिस्टेंट लोको पायलट के रूप में नियुक्त किया जाता है।
असिस्टेंट लोको पायलट के रूप में, उन्हें एक विस्तृत प्रशिक्षण कार्यक्रम से गुजरना होता है।
इस ट्रेनिंग के दौरान, उन्हें लोको पायलट के काम की विशेषताओं और सुरक्षा सूचना के बारे में शिक्षा दी जाती है।
केवल इस प्रशिक्षण को सफलतापूर्वक पूरा करने के बाद ही उन्हें लोको पायलट के पद पर प्रमोट किया जाता है।
अर्थात, लोको पायलट बनने के लिए एक कड़ी प्रशिक्षण प्रक्रिया से गुजरना आवश्यक है, जिसमें लोको पायलट के कार्यों और सुरक्षा मानकों को सीखना शामिल है। यह सुनिश्चित करता है कि वे अपने जिम्मेदार कर्तव्यों को पूरा करने के लिए पूरी तरह से तैयार हों।
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लोको पायलट बनने के लिए एक कड़ी ट्रेनिंग प्रक्रिया से गुजरना आवश्यक है। इस ट्रेनिंग के दौरान, उम्मीदवारों को लोको पायलट के काम की विशेषताओं और सुरक्षा सूचना के बारे में शिक्षा दी जाती है।चयनित उम्मीदवारों को पहले असिस्टेंट लोको पायलट के रूप में नियुक्त किया जाता है। इसके बाद, उन्हें एक विस्तृत प्रशिक्षण कार्यक्रम से गुजरना होता है।लोको पायलट की ट्रेनिंग पूरी होने के बाद, उम्मीदवारों की तैनाती पहले सहायक लोको पायलट के रूप में मालगाड़ी पर की जाती है। यहां उनके प्रदर्शन का मूल्यांकन किया जाता है।केवल इस प्रशिक्षण को सफलतापूर्वक पूरा करने के बाद ही उन्हें लोको पायलट के पद पर प्रमोट किया जाता है। इस प्रकार, लोको पायलट का काम ट्रेनिंग पूरी होने के बाद शुरू होता है।
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लोको पायलट का काम कैसे शुरू होता है, इसके बारे में नीचे दी गई जानकारी है:
जांच और तैयारी: लोको पायलट की ड्यूटी शुरू होने पर, वे सबसे पहले इंजन और अन्य संबंधित उपकरणों की अच्छे से जांच करते हैं। यह सुनिश्चित करता है कि सभी सिस्टम ठीक से काम कर रहे हैं.
पटरियों का निरीक्षण: लोको पायलट पटरियों का निरीक्षण भी करते हैं, जिससे सुनिश्चित होता है कि ट्रेन सुरक्षित रूप से चल सकती है।.
ट्रेन के संचालन की तैयारी: लोको पायलट ट्रेन के संचालन के लिए सभी तैयारी करते हैं, जिसमें ट्रेन के रूट के हिसाब से पटरियों को एडजस्ट करना शामिल है।.
सिग्नलिंग सिस्टम: लोको पायलट ऑटोमैटिक सिग्नलिंग सिस्टम का उपयोग करते हैं, जो ट्रेन के रूट के हिसाब से पटरियों को एडजस्ट करता है।.
ट्रेन के संचालन: लोको पायलट ट्रेन को चलाते हैं, जिसमें वे सिग्नलिंग सिस्टम का उपयोग करते हैं और ट्रेन के रूट के हिसाब से पटरियों को एडजस्ट करते हैं।.
इस प्रकार, लोको पायलट का काम शुरू होने से लेकर ट्रेन के संचालन तक कई चरणों से गुजरता है, जिसमें सुरक्षा और संचालन की तैयारी शामिल है।
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लोको पायलट की ड्यूटी के दौरान निम्नलिखित प्रमुख कार्य शामिल हैं:
ट्रेन और उपकरणों की जांच: लोको पायलट ड्यूटी शुरू होने से पहले ट्रेन और संबंधित उपकरणों की अच्छी तरह से जांच करते हैं। इसमें टायरों, फ्लेंजों, स्प्रिंग्स, कट आउट कॉक आदि की जांच शामिल है।
सिग्नलिंग और पटरियों की जांच: लोको पायलट ऑटोमैटिक सिग्नलिंग सिस्टम का उपयोग करते हैं और ट्रेन के रूट के अनुसार पटरियों को एडजस्ट करते हैं।
ट्रेन के संचालन की तैयारी: लोको पायलट ट्रेन के संचालन के लिए सभी आवश्यक तैयारी करते हैं, जिसमें कपलिंग, वैक्यूम/एयर प्रेशर, सिलेंडरों की जांच आदि शामिल है।
ट्रेन को रवाना करना: लोको पायलट गार्ड का संकेत लेकर ट्रेन को रवाना करते हैं। वे यह सुनिश्चित करते हैं कि सही लाइन लगी हुई है और सही प्रस्थान सिग्नल दिया गया है।
यात्रा के दौरान निगरानी: लोको पायलट यात्रा के दौरान ट्रेन की निगरानी करते हैं, जिसमें ब्रेक पावर की जांच और गति सीमा का पालन करना शामिल है।
इस प्रकार, लोको पायलट की ड्यूटी में ट्रेन और उपकरणों की जांच, सिग्नलिंग और पटरियों का प्रबंधन, ट्रेन के संचालन की तैयारी और यात्रा के दौरान निगरानी जैसे महत्वपूर्ण कार्य शामिल हैं।
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लोको पायलट की ड्यूटी के दौरान निम्नलिखित सुरक्षा जाँच की जाती है:
इंजन और उपकरणों की जांच:
टायरों की, फ्लेंजों की, स्प्रिंगों की और कट आउट कॉक की स्थिति की जाँच.
चैन कपलिंग और सी.बी.सी. कपलर की जाँच.
इंजन के शेड्यूल रिपेयर की अवधि की जाँच.
पहले की बुक की गई मरम्मत की जाँच.
ब्रेक नियंत्रण पद्धति की जांच:
माप घड़ी, फ्यूल प्रेशर और ल्यूब आॅयल प्रेशर घड़ी की जाँच.
स्पीडोमीटर चार्ट की व्यवस्था की जाँच.
गाड़ी के संचालन से पूर्व की जाँच:
गाड़ी पर इंजन बिना झटका लगाए जोडे.
गाड़ी और इंजन के कपलिंग की जाँच.
निर्धारित मात्रा में वैक्यूम/एयर प्रेशर बनना सुनिश्चित करे.
कार्य न करने वाले सिलेन्डरों की जाँच.
एयर ब्रेक की गाड़ी का कन्टीन्यूटी टस्ट.
यात्रा के दौरान की जाँच:
प्रथम ब्लाॅक सेक्शन में ब्रेक पावर की जाँच.
सभी गति प्रोफाइल की जाँच.
ब्रेथ इनलाइजर टेस्ट:
ट्रेन चलाने से पहले लोको पायलट का ब्रेथ इनलाइजर टेस्ट किया जाता है, जिसमें अगर कोई लोकोपायलट ऑन ड्यूटी ड्रिंक करता है और ब्रेथ इनलाइजर टेस्ट में एल्कोहल पाया जाता है तो यूरिन और ब्लड की जांच.
विश्राम की जाँच:
लोको पायलट को गाड़ी से आने के बाद ऑफ ड्यूटी होने पर मुख्यालय पर 16 घंटे एवं बाहरी स्टेशनों पर आठ घंटे विश्राम पूर्ण होने के बाद ही कॉल बुक देकर गाड़ी पर भेजने के निर्देश.
इन सुरक्षा जाँचों से सुनिश्चित किया जाता है कि लोको पायलट की ड्यूटी के दौरान ट्रेन का सुरक्षित संचालन हो।
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