शॉपिंग मॉल की कौन सी चतुराई भरी नीति होती है कि ग्राहक गैर जरूरी सामान खरीद लेता है?
शॉपिंग मॉल वाले अपने ग्राहकों को लूटने के लिए ऐसी गंदी रणनीति बनाते हैं जिसे जानकर आप चौक जायेंगे
शॉपिंग मॉल में अक्सर सामान के मूल्य साइकोलॉजी के अनुसार रखे जाते हैं, जैसे ₹100 के बजाय ₹99 , 500 रुपये के बजाय ₹499, 1000 रुपये के बजाय ₹999 ...यह रणनीति ग्राहक के लिए साइकोलॉजिकल इफेक्ट का काम करती है और ग्राहक को लगता है की मूल्य काफी कम है
इसके अलावा शॉपिंग मॉल वाले मॉल के अंदर एस्केलेटर जानबूझकर पीछे लगाते हैं ताकि ग्राहक पूरा माल का चक्कर लगाकर जाए जिससे रास्ते में उसकी नजर गैर जरूरी सामानों पर पड़े और वह उन्हें खरीदें और हर एक मॉल में मूवी थिएटर टॉप फ्लोर पर होता है ताकि फिल्म देखने जाने वाले लोग भी मॉल से होकर जाएं और कुछ न कुछ खरीदारी करते रहे
शॉपिंग मॉल वाले बहुत सी चीजों को सीधे निर्माता से अपने लिए खास पैकेजिंग और खास वजन में मंगाते हैं
..
अभी कुछ दिन पहले मैं चायपत्ती लेने एक मॉल में गया जो बाजार से ₹20 सस्ती थी मैंने खरीद लिया घर आकर जब मैंने ठीक से वजन देखा तब वहां पर 500 ग्राम की बजाय 460 ग्राम लिखा था मैंने चाय की कंपनी के कस्टमर केयर नंबर पर फोन किया तो पता चला शॉपिंग मॉल ने अपने लिए विशेष पैकेजिंग बनाया है
ऐसे ही शॉपिंग मॉल वाले शैंपू भी निर्माता से 50% एक्स्ट्रा प्रिंट वाले लेते हैं जबकि उनमें कोई भी एक्स्ट्रा नहीं होता आप यह शैंपू के दोनों पैकेट देख सकते हैं एक जो मैंने शॉपिंग मॉल में लिया दूसरा मैंने साधारण दुकान से लिया दोनों में 6 ग्राम शैंपू है लेकिन मॉल वाले शैंपू के पाउच पर 50% एक्स्ट्रा लिखा हुआ है ताकि ग्राहक आकर्षित होकर खरीदें
शॉपिंग मॉल वाले छूट के नाम पर ग्राहकों को सबसे ज्यादा मूर्ख बनाते हैं .. कीमत को ज्यादा दिखाकर फिर 50% डिस्काउंट देते हैं इतना ही नहीं यह सेल तब लगाते हैं जब इन्हें पता होता है हॉस्टल में रहकर पढ़ने वाले छात्रों के मां बाप अपने बच्चों को पैसा भेजते होंगे
इसीलिए मित्रों हमें हमेशा खरीदारी स्ट्रीट शॉपिंग करनी चाहिए ताकि हम कोई गैर जरूरी सामान ना खरीदें और सड़कों पर चलने से हमारा स्वास्थ्य भी अच्छा होगा
इतना ही नहीं शॉपिंग माल वाले अपने मॉल में आजकल खाने-पीने का स्टॉल जरूर रखते हैं ताकि ग्राहक उसी बहाने मॉल में आकर्षित और शॉपिंग मॉल में जो सामान बेहद जरूरी होता है जैसे सब्जी और दूध उसे हमेशा मॉल के पीछे हिस्से में रखा जाता है ताकि ग्राहक उसे लेने के लिए मॉल का पूरा चक्कर लगाकर जाए और रास्ते में और भी तमाम चीजें देखते हुए और उन्हें खरीदते हुए जाए
शॉपिंग मॉल वाले बच्चों को आकर्षित करने के लिए बहुत मेहनत करते हैं ताकि बच्चे जिद करके मॉल में आए और अपने मां-बाप की जेब ढीली करें
जब भी आप आर्थिक संकट में हो तब आप आप अपनी खरीदारी मोहल्ले के दुकान या स्ट्रीट शॉपिंग से करें क्योंकि जब भी मैं मॉल से आने के बाद घर पर सामानों को देखता हूं तो मुझे पता चलता है आधे से ज्यादा सामान हम ऐसे खरीद लेते हैं जो हमारे लिए गैर जरूरी होते हैं और वह अलमारी में रखे रखे खराब हो जाते हैं
शॉपिंग मॉल में अक्सर सामान के मूल्य साइकोलॉजी के अनुसार रखे जाते हैं, जैसे ₹100 के बजाय ₹99 , 500 रुपये के बजाय ₹499, 1000 रुपये के बजाय ₹999 ...यह रणनीति ग्राहक के लिए साइकोलॉजिकल इफेक्ट का काम करती है और ग्राहक को लगता है की मूल्य काफी कम है
इसके अलावा शॉपिंग मॉल वाले मॉल के अंदर एस्केलेटर जानबूझकर पीछे लगाते हैं ताकि ग्राहक पूरा माल का चक्कर लगाकर जाए जिससे रास्ते में उसकी नजर गैर जरूरी सामानों पर पड़े और वह उन्हें खरीदें और हर एक मॉल में मूवी थिएटर टॉप फ्लोर पर होता है ताकि फिल्म देखने जाने वाले लोग भी मॉल से होकर जाएं और कुछ न कुछ खरीदारी करते रहे
शॉपिंग मॉल वाले बहुत सी चीजों को सीधे निर्माता से अपने लिए खास पैकेजिंग और खास वजन में मंगाते हैं
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अभी कुछ दिन पहले मैं चायपत्ती लेने एक मॉल में गया जो बाजार से ₹20 सस्ती थी मैंने खरीद लिया घर आकर जब मैंने ठीक से वजन देखा तब वहां पर 500 ग्राम की बजाय 460 ग्राम लिखा था मैंने चाय की कंपनी के कस्टमर केयर नंबर पर फोन किया तो पता चला शॉपिंग मॉल ने अपने लिए विशेष पैकेजिंग बनाया है
ऐसे ही शॉपिंग मॉल वाले शैंपू भी निर्माता से 50% एक्स्ट्रा प्रिंट वाले लेते हैं जबकि उनमें कोई भी एक्स्ट्रा नहीं होता आप यह शैंपू के दोनों पैकेट देख सकते हैं एक जो मैंने शॉपिंग मॉल में लिया दूसरा मैंने साधारण दुकान से लिया दोनों में 6 ग्राम शैंपू है लेकिन मॉल वाले शैंपू के पाउच पर 50% एक्स्ट्रा लिखा हुआ है ताकि ग्राहक आकर्षित होकर खरीदें
शॉपिंग मॉल वाले छूट के नाम पर ग्राहकों को सबसे ज्यादा मूर्ख बनाते हैं .. कीमत को ज्यादा दिखाकर फिर 50% डिस्काउंट देते हैं इतना ही नहीं यह सेल तब लगाते हैं जब इन्हें पता होता है हॉस्टल में रहकर पढ़ने वाले छात्रों के मां बाप अपने बच्चों को पैसा भेजते होंगे
इसीलिए मित्रों हमें हमेशा खरीदारी स्ट्रीट शॉपिंग करनी चाहिए ताकि हम कोई गैर जरूरी सामान ना खरीदें और सड़कों पर चलने से हमारा स्वास्थ्य भी अच्छा होगा
इतना ही नहीं शॉपिंग माल वाले अपने मॉल में आजकल खाने-पीने का स्टॉल जरूर रखते हैं ताकि ग्राहक उसी बहाने मॉल में आकर्षित और शॉपिंग मॉल में जो सामान बेहद जरूरी होता है जैसे सब्जी और दूध उसे हमेशा मॉल के पीछे हिस्से में रखा जाता है ताकि ग्राहक उसे लेने के लिए मॉल का पूरा चक्कर लगाकर जाए और रास्ते में और भी तमाम चीजें देखते हुए और उन्हें खरीदते हुए जाए
शॉपिंग मॉल वाले बच्चों को आकर्षित करने के लिए बहुत मेहनत करते हैं ताकि बच्चे जिद करके मॉल में आए और अपने मां-बाप की जेब ढीली करें
जब भी आप आर्थिक संकट में हो तब आप आप अपनी खरीदारी मोहल्ले के दुकान या स्ट्रीट शॉपिंग से करें क्योंकि जब भी मैं मॉल से आने के बाद घर पर सामानों को देखता हूं तो मुझे पता चलता है आधे से ज्यादा सामान हम ऐसे खरीद लेते हैं जो हमारे लिए गैर जरूरी होते हैं और वह अलमारी में रखे रखे खराब हो जाते हैं
लालू यादव के बारे में कौन सी बातें बहुत कम लोग जानते हैं?
लालू यादव के बारे अनेक बातें ऐसी हैं जिन्हें बहुत कम लोग जानते हैं, भारत के सबसे भ्रष्ट नेताओं में से एक लालू यादव के बारे में ये वो नातें हैं-
- लालू खुद भी अपनी जन्म की असली तारीख नहीं जानते, कागजों में 11 जून उनकी जन्म तारीख है.
- ग्रेजुएशन के बाद पटना के एक कालेज में क्लर्क के रूप में काम किया.
- लालू यादव कोई 'यादव' नहीं हैं, उनका पूरा नाम 'लालू प्रसाद' है.
- बिहार के कुछ सरकारी अफसरों के अनुसार 9.5 अरब का चारा घोटाला लालू यादव के भ्रष्टाचार का एक अंश मात्र है.
- अपनी बेटी की शादी में आधे पटना को बंद कराने और पटना की आधी पुलिस उसी शादी में लगाने वाले नेता.
- अपनी बेटी मीसा की शादी पूरी तरह सरकारी खर्चे पर करवाना जिसमे करोड़ों सरकारी रुपये पानी की तरह बहाए गये.
- लालू ने बिहार बोर्ड में होने वाली नक़ल का समर्थन किया और नक़ल से अच्छे नंबर दिलवाने को अपनी सरकार की उपलब्धि बताया था.
- जिन 15 सालों में मध्य प्रदेश, तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, गुजरात जैसे राज्य अत्यधिक तेज विकास कर रहे थे, लालू यादव ने उन 15 सालों में आजादी के बाद के सबसे विकसित राज्य बिहार को सबसे पिछड़े राज्यों में से एक बना दिया.
लिफ्ट के अंदर शीशा क्यों लगाया जाता है?
लिफ्ट में दर्पण क्यों होते हैं? इसके पीछे की कहानी बड़ी दिलचस्प है।
शुरुआती औद्योगिक युग में जब बड़ी इमारतों का निर्माण शुरू किया गया था, तो लिफ्ट का विचार मानव मन में आया। लेकिन उस समय ये लिफ्ट बहुत धीमी थी और इसलिए लोग निराश हो गए और लिफ्ट की गति के बारे में आलोचना करने लगे। तब कुछ लोगो को एक विचार आया और उन्होंने पाया कि यह प्रतीक्षा, मनोवैज्ञानिक पक्ष के अलावा और कुछ नहीं है। चिंता प्रतीक्षा समय को अधिक लंबा कर देती है।इंजीनियरों ने कई समाधानों का प्रस्ताव दिया, जिसमें उन्होंने लिफ्ट में दर्पण लगाए। ये आइडिया कामयाब हुआ।
बहुत से लोगों को क्लॉस्ट्रोफोबिक की समस्या होती है। बंद या छोटे स्थानों में होने के डर को क्लस्ट्रोफोबिक कहा जाता है। लिफ्ट में दर्पण होने से क्लौस्ट्रफोबिक की समस्या कम हो जाती है। लिफ्ट में शीशे लगे होने से आप का ध्यान चारों तरफ बना रहता है जिससे आप अगल-बगल ध्यान रख सकते हैं। कोई अगर चोरी करने या परेशान करने की कोशिश करे तो आप उसे देख सकते है।
शुरुआती औद्योगिक युग में जब बड़ी इमारतों का निर्माण शुरू किया गया था, तो लिफ्ट का विचार मानव मन में आया। लेकिन उस समय ये लिफ्ट बहुत धीमी थी और इसलिए लोग निराश हो गए और लिफ्ट की गति के बारे में आलोचना करने लगे। तब कुछ लोगो को एक विचार आया और उन्होंने पाया कि यह प्रतीक्षा, मनोवैज्ञानिक पक्ष के अलावा और कुछ नहीं है। चिंता प्रतीक्षा समय को अधिक लंबा कर देती है।इंजीनियरों ने कई समाधानों का प्रस्ताव दिया, जिसमें उन्होंने लिफ्ट में दर्पण लगाए। ये आइडिया कामयाब हुआ।
बहुत से लोगों को क्लॉस्ट्रोफोबिक की समस्या होती है। बंद या छोटे स्थानों में होने के डर को क्लस्ट्रोफोबिक कहा जाता है। लिफ्ट में दर्पण होने से क्लौस्ट्रफोबिक की समस्या कम हो जाती है। लिफ्ट में शीशे लगे होने से आप का ध्यान चारों तरफ बना रहता है जिससे आप अगल-बगल ध्यान रख सकते हैं। कोई अगर चोरी करने या परेशान करने की कोशिश करे तो आप उसे देख सकते है।
भारत में निजी अस्पतालों में डॉक्टर हमारी मेहनत की कमाई कैसे लूटते हैं? हमें लूटने के उनके सबसे ज़बरदस्त पैंतरे कौनसे हैं?
जी बहुत सारे तरीके है बताता हूं
- ऐसे डॉक्टर ओपीडी के नाम पर लूटते हैं जैसे कि अगर ओपीडी की पर्ची 7 दिन के लिए मान्य हैं तो वो डॉक्टर 7 दिन के बाद ही आने को बोलेगा।
- ऐसी दवाइयां लिखना जो की उसी हस्पताल में मिले या फिर जिस पर कमीसन सेट हो उसी पर।
- ऐसे टेस्ट बार बार लिखना जिनका करवाने का कोई ओचित्य नहीं।
- पेशंट को डराना की अगर इलाज नहीं करवाया तो दुष्परिणाम हो सकते हैं।
- दो घंटे बेड चार्ज का पूरा दिन चार्ज करना।
- दूसरे डॉक्टर की बुराई करना कि ये गलत इलाज बताया हैं।
- सबसे ज्यादा अगर कोई लूटता हैं तो वो है सेक्सोलॉजिस्ट इलाज का हजारों में कोर्स बताना। लोगो के दिमाग से खेलना।
- जेनरिक दवाई ना लिख कर ब्रांडेड वाली ही लिखना।
किस अभिनेता के बदलाव ने आपको वास्तव में चौंका दिया?
मैं आपको दक्षिण भारत की फिल्मो के हास्य अभिनेताओं की पृष्ठभूमि की बात कर रहा हूँ क्योंकि जिस अभिनेता के बदलाव ने मुझे चौंका दिया वो भी दक्षिण भारतीय फिल्मो के कॉमेडियन है और बदलाव के बाद उन्होंने मुख्य भूमिकाओं में आना शुरू कर दिया इन्होने अपनी दूसरी पारी की शुरुआत मुख्य भूमिकाओं से की, अपने शीर्ष समय पर वो ब्रह्मानंदम से कुछ कम नहीं थे यहाँ पर हम सुनील की बात कर रहे है उसके बाद सुनील ने अवकाश लिया तो लोगो ने सोचा शायद राजनीती में जाने के लिए सुनील ने फिल्मो को छोड़ दिया है लेकिन 2 -3 वर्षो जब सुनील वापस आये तो उन्होंने सबको चौंका दिया वो फिल्मो में एकदम शानदार बॉडी बनाकर लौटे और अपनी मुख्य भूमिका वाली फिल्म के ट्रेलर में दिखाई दिए मुझे याद है कि कैसे हर कोई उनके कठिन परिश्रम और लगन की तारीफ कर रहा था वो पूरे दक्षिण भारत में चर्चा का विषय थे उसके बाद उन्होंने कई फिल्मो में मुख्य भूमिका निभाई जिनमे कुछ फिल्म सफल रही और कुछ फ्लॉप हो गयी सुनील ने एक फिल्म राजमौली के साथ भी की जो बेहद सफल रही मगर सुनील अपने आप को हीरो के रूप में स्थापित करने में असफल रहे वो वापस केवल कॉमेडियन बनना नहीं चाहता था वो कॉमेडी केवल मुख्य भूमिका में ही करना चाहता था भगवान् ही जानता है कि भविष्य में सुनील कितना सफल होगा मगर उसका परिश्रम और लगन काबिल-ए-तारीफ है मैं उसकी सफलता की कामना करता हूँ
आर्य भट्ट ने शून्य की खोज की तो रामायण में रावण के दस सर की गणना कैसे की गयी?
कुछ लोग हिन्दू धर्म व "रामायण" महाभारत "गीता" को काल्पनिक दिखाने के लिए यह प्रश्न करते है कि जब आर्यभट्ट ने लगभग 6 वी शताब्दी मे (शून्य/जीरो) की खोज की तो आर्यभट्ट की खोज से लगभग 5000 हजार वर्ष पहले रामायण मे रावण के 10 सिर की गिनती कैसे की गई !!!
और महाभारत मे कौरवो की 100 की संख्या की गिनीती कैसे की गई !!
जबकि उस समय लोग (जीरो) को जानते ही नही थे !!
तो लोगो ने गिनती को कैसे गिना !!!!
अब मै इस प्रश्न का उत्तर दे रहा हु !!
कृपया इसे पूरा ध्यान से पढे!
आर्यभट्ट से पहले संसार 0(शुन्य) को नही जानता था !!
आर्यभट्ट ने ही (शुन्य / जीरो) की खोज की, यह एक सत्य है !!
लेकिन आर्यभट्ट ने "0( जीरो )"" की खोज *अंको मे* की थी, *शब्दों* में खोज नहीं की थी, उससे पहले 0 (अंक को) शब्दो मे शुन्य कहा जाता था !!!
उस समय मे भी हिन्दू धर्म ग्रंथो मे जैसे शिव पुराण,स्कन्द पुराण आदि मे आकाश को *शुन्य* कहा गया है !!
यहाँ पे "शुन्य" का मतलव अनंत से होता है !!
लेकिन *रामायण व महाभारत* काल मे गिनती अंको मे न होकर शब्दो मे होता था,और वह भी *संस्कृत* मे !!
उस समय *1,2,3,4,5,6,7,8, 9,10* अंक के स्थान पे *शब्दो* का प्रयोग होता था वह भी *संस्कृत* के शव्दो का प्रयोग होता था !!!
जैसे !
1 = प्रथम
2 = द्वितीय
3 = तृतीय"
4 = चतुर्थ
5 = पंचम""
6 = षष्टं"
7 = सप्तम""
8 = अष्टम""
9 = नवंम""
10 = दशम !!
*दशम = दस*
यानी" दशम मे *दस* तो आ गया,लेकिन अंक का
0 (जीरो/शुन्य ) नही आया,रावण को दशानन कहा जाता है !!
*दशानन मतलव दश+आनन =दश सिर वाला*
अब देखो
रावण के दस सिर की गिनती तो हो गई !!
लेकिन अंको का 0 (जीरो) नही आया !!
इसी प्रकार महाभारत काल मे *संस्कृत* शब्द मे *कौरवो* की सौ की संख्या को *शत-शतम* ""बताया गया !!
*शत्* एक संस्कृत का "शब्द है,
जिसका हिन्दी मे अर्थ सौ (100) होता है !!
सौ(100) "को संस्कृत मे शत् कहते है !!
*शत = सौ*
इस प्रकार महाभारत काल मे कौरवो की संख्या गिनने मे सौ हो गई !!
लेकिन इस गिनती मे भी *अंक का 00(डबल जीरो)* नही आया,और गिनती भी पूरी हो गई !!!
महाभारत धर्मग्रंथ में कौरव की संख्या शत बताया गया है!
रोमन मे भी
1-2-3-4-5-6-7-8-9-10 की
जगह पे (¡)''(¡¡)"""(¡¡¡)""
पाँच को V कहा जाता है !!
दस को x कहा जाता है !!
रोमन मे x को दस कहा जाता है !!
X= दस
इस रोमन x मे अंक का (जीरो/0) नही आया !!
और हम" दश पढ "भी लिए
और" गिनती पूरी हो गई!!
इस प्रकार रोमन word मे "कही 0 (जीरो) "नही आता है!!
और आप भी" रोमन मे""एक से लेकर "सौ की गिनती "पढ लिख सकते है !!
आपको 0 या 00 लिखने की जरूरत भी नही पड़ती है !!
पहले के जमाने मे गिनती को *शब्दो मे* लिखा जाता था !!
उस समय अंको का ज्ञान नही था !!
जैसे गीता,रामायण मे 1"2"3"4"5"6 या बाकी पाठो (lesson ) को इस प्रकार पढा जाता है !!
जैसे
(प्रथम अध्याय, द्वितीय अध्याय, पंचम अध्याय,दशम अध्याय... आदि !!)
इनके"" दशम अध्याय ' मतलब
दशवा पाठ (10 lesson) "" होता है !!
दशम अध्याय= दसवा पाठ
इसमे *दश* शब्द तो आ गया !!
लेकिन इस दश मे *अंको का 0* (जीरो)" का प्रयोग नही हुआ !!
बिना 0 आए पाठो (lesson) की गिनती दश हो गई !!
(हिन्दू बिरोधी और नास्तिक लोग सिर्फ अपने गलत कुतर्क द्वारा
हिन्दू धर्म व हिन्दू धर्मग्रंथो को काल्पनिक साबित करना चाहते है !!)
जिससे हिन्दूओ के मन मे हिन्दू धर्म के प्रति नफरत भरकर और हिन्दू धर्म को काल्पनिक साबित करके,हिन्दू समाज को अन्य धर्मों में परिवर्तित किया जाए !!!
लेकिन आज का हिन्दू समाज अपने धार्मिक शिक्षा को ग्रहण ना करने के कारण इन लोगो के झुठ को सही मान बैठता है !!!
यह हमारे धर्म व संस्कृत के लिए हानि कारक है !!
अपनी सभ्यता पहचाने,गर्व करे की हम भारतीय है।
और महाभारत मे कौरवो की 100 की संख्या की गिनीती कैसे की गई !!
जबकि उस समय लोग (जीरो) को जानते ही नही थे !!
तो लोगो ने गिनती को कैसे गिना !!!!
अब मै इस प्रश्न का उत्तर दे रहा हु !!
कृपया इसे पूरा ध्यान से पढे!
आर्यभट्ट से पहले संसार 0(शुन्य) को नही जानता था !!
आर्यभट्ट ने ही (शुन्य / जीरो) की खोज की, यह एक सत्य है !!
लेकिन आर्यभट्ट ने "0( जीरो )"" की खोज *अंको मे* की थी, *शब्दों* में खोज नहीं की थी, उससे पहले 0 (अंक को) शब्दो मे शुन्य कहा जाता था !!!
उस समय मे भी हिन्दू धर्म ग्रंथो मे जैसे शिव पुराण,स्कन्द पुराण आदि मे आकाश को *शुन्य* कहा गया है !!
यहाँ पे "शुन्य" का मतलव अनंत से होता है !!
लेकिन *रामायण व महाभारत* काल मे गिनती अंको मे न होकर शब्दो मे होता था,और वह भी *संस्कृत* मे !!
उस समय *1,2,3,4,5,6,7,8, 9,10* अंक के स्थान पे *शब्दो* का प्रयोग होता था वह भी *संस्कृत* के शव्दो का प्रयोग होता था !!!
जैसे !
1 = प्रथम
2 = द्वितीय
3 = तृतीय"
4 = चतुर्थ
5 = पंचम""
6 = षष्टं"
7 = सप्तम""
8 = अष्टम""
9 = नवंम""
10 = दशम !!
*दशम = दस*
यानी" दशम मे *दस* तो आ गया,लेकिन अंक का
0 (जीरो/शुन्य ) नही आया,रावण को दशानन कहा जाता है !!
*दशानन मतलव दश+आनन =दश सिर वाला*
अब देखो
रावण के दस सिर की गिनती तो हो गई !!
लेकिन अंको का 0 (जीरो) नही आया !!
इसी प्रकार महाभारत काल मे *संस्कृत* शब्द मे *कौरवो* की सौ की संख्या को *शत-शतम* ""बताया गया !!
*शत्* एक संस्कृत का "शब्द है,
जिसका हिन्दी मे अर्थ सौ (100) होता है !!
सौ(100) "को संस्कृत मे शत् कहते है !!
*शत = सौ*
इस प्रकार महाभारत काल मे कौरवो की संख्या गिनने मे सौ हो गई !!
लेकिन इस गिनती मे भी *अंक का 00(डबल जीरो)* नही आया,और गिनती भी पूरी हो गई !!!
महाभारत धर्मग्रंथ में कौरव की संख्या शत बताया गया है!
रोमन मे भी
1-2-3-4-5-6-7-8-9-10 की
जगह पे (¡)''(¡¡)"""(¡¡¡)""
पाँच को V कहा जाता है !!
दस को x कहा जाता है !!
रोमन मे x को दस कहा जाता है !!
X= दस
इस रोमन x मे अंक का (जीरो/0) नही आया !!
और हम" दश पढ "भी लिए
और" गिनती पूरी हो गई!!
इस प्रकार रोमन word मे "कही 0 (जीरो) "नही आता है!!
और आप भी" रोमन मे""एक से लेकर "सौ की गिनती "पढ लिख सकते है !!
आपको 0 या 00 लिखने की जरूरत भी नही पड़ती है !!
पहले के जमाने मे गिनती को *शब्दो मे* लिखा जाता था !!
उस समय अंको का ज्ञान नही था !!
जैसे गीता,रामायण मे 1"2"3"4"5"6 या बाकी पाठो (lesson ) को इस प्रकार पढा जाता है !!
जैसे
(प्रथम अध्याय, द्वितीय अध्याय, पंचम अध्याय,दशम अध्याय... आदि !!)
इनके"" दशम अध्याय ' मतलब
दशवा पाठ (10 lesson) "" होता है !!
दशम अध्याय= दसवा पाठ
इसमे *दश* शब्द तो आ गया !!
लेकिन इस दश मे *अंको का 0* (जीरो)" का प्रयोग नही हुआ !!
बिना 0 आए पाठो (lesson) की गिनती दश हो गई !!
(हिन्दू बिरोधी और नास्तिक लोग सिर्फ अपने गलत कुतर्क द्वारा
हिन्दू धर्म व हिन्दू धर्मग्रंथो को काल्पनिक साबित करना चाहते है !!)
जिससे हिन्दूओ के मन मे हिन्दू धर्म के प्रति नफरत भरकर और हिन्दू धर्म को काल्पनिक साबित करके,हिन्दू समाज को अन्य धर्मों में परिवर्तित किया जाए !!!
लेकिन आज का हिन्दू समाज अपने धार्मिक शिक्षा को ग्रहण ना करने के कारण इन लोगो के झुठ को सही मान बैठता है !!!
यह हमारे धर्म व संस्कृत के लिए हानि कारक है !!
अपनी सभ्यता पहचाने,गर्व करे की हम भारतीय है।
पी चिदंबरम को जेल में कौन-कौन सी सुविधाएं उपलब्ध कराई गईंं हैं ?
बता दें कि पी चिदंबरम राजनीतिक के अलावा पेशे से वकील भी हैं और उनका केस वरिष्ठ वकील और कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल लड रहे है | वो कानूनी दाव पेच बहुत बेहतर जानते है |
कोर्ट ने भले ही तिहाड़ जेल भेज दिया है पर उनको सारी सुविधा है | पी. चिदंबरम की जेल में अलग सेल, खाट और अलग बाथरूम , वेस्टर्न शौचालय की मांगें मंज़ूर कर ली गई हैं |
पी चिदंबरम कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हैं और पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री रह चुके हैं और वीआईपी होने के नाते वो वीआईपी सुख-सुविधाओं का आनंद जिसमें टीवी, अखबार, मिनरल वाटर से लेकर फाइव स्टार होटलों से मंगाया गया खाना तक आसानी से मगा सकते है |
तो एक तरह से देखा जाये तो वो जेल में हैं पर होटेल की तरह |
कोर्ट ने भले ही तिहाड़ जेल भेज दिया है पर उनको सारी सुविधा है | पी. चिदंबरम की जेल में अलग सेल, खाट और अलग बाथरूम , वेस्टर्न शौचालय की मांगें मंज़ूर कर ली गई हैं |
पी चिदंबरम कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हैं और पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री रह चुके हैं और वीआईपी होने के नाते वो वीआईपी सुख-सुविधाओं का आनंद जिसमें टीवी, अखबार, मिनरल वाटर से लेकर फाइव स्टार होटलों से मंगाया गया खाना तक आसानी से मगा सकते है |
तो एक तरह से देखा जाये तो वो जेल में हैं पर होटेल की तरह |
क्या चीन सच में उतना शक्तिशाली है जितना हम भारतीय सोचते हैं?
• चीन उतना भी शक्तिशाली देश नही है जितना हम भारतीय उसे समझते हैं।
• चीन खुद की तुलना अमेरिका से करता है, लेकिन हाल ही मे अमेरिका ने उसकी बाजू हल्की सी मरोडी और उसकी ईकोनॉमी की हालत खराब होने लगी।
• इसलिये हमे चीन को अमेरिका जैसा नही समझना चाहिए।
• लेकिन यह बात भी सच है कि पिछ्ले कुछ दशकों मे चीन हम से कई गुना आगे निकल गया है।
• चीन अपनी समस्याओं को देखता है और तुरंत उन पर काम करना शुरु कार देता है।
• वहीं भारत मे सालों तक सरकारें समस्याओं को देखती रहती हैं, फिर एक कमेटी बना देती है, कमेटी सालों बाद रिपोर्ट देती है और फिर उस पर राजनीती होती रहती है।
• कोई भी कदम उठाने से पहले सरकारें देश हित को छोड कर पहले अपना वोट का सोचती हैं, इसी कारण GST जैसे मुद्दे दशकों तक लटके रहते हैं।
• चीन और भारत की बहुत समस्यायें एक जैसी हैं, जैसे एक मुख्य समस्या है गरीबी की, चीन हर साल करोडों लोगों को गरीबी से बाहर निकाल रहा है और भारत और चीन के बीच का अंतर भी बढता जा राह है।
• आज की तारीख़ में हम कम से कम यह तो कह सकतें हैं की चीन एक अर्थिक ताकत के रूप में तो विश्व के मानचित्र पर उभर ही चुका है।
• चीन खुद की तुलना अमेरिका से करता है, लेकिन हाल ही मे अमेरिका ने उसकी बाजू हल्की सी मरोडी और उसकी ईकोनॉमी की हालत खराब होने लगी।
• इसलिये हमे चीन को अमेरिका जैसा नही समझना चाहिए।
• लेकिन यह बात भी सच है कि पिछ्ले कुछ दशकों मे चीन हम से कई गुना आगे निकल गया है।
• चीन अपनी समस्याओं को देखता है और तुरंत उन पर काम करना शुरु कार देता है।
• वहीं भारत मे सालों तक सरकारें समस्याओं को देखती रहती हैं, फिर एक कमेटी बना देती है, कमेटी सालों बाद रिपोर्ट देती है और फिर उस पर राजनीती होती रहती है।
• कोई भी कदम उठाने से पहले सरकारें देश हित को छोड कर पहले अपना वोट का सोचती हैं, इसी कारण GST जैसे मुद्दे दशकों तक लटके रहते हैं।
• चीन और भारत की बहुत समस्यायें एक जैसी हैं, जैसे एक मुख्य समस्या है गरीबी की, चीन हर साल करोडों लोगों को गरीबी से बाहर निकाल रहा है और भारत और चीन के बीच का अंतर भी बढता जा राह है।
• आज की तारीख़ में हम कम से कम यह तो कह सकतें हैं की चीन एक अर्थिक ताकत के रूप में तो विश्व के मानचित्र पर उभर ही चुका है।
भारत ने जिस सरलता के साथ कश्मीर से धारा-370 हटा दिया जो कि एक जटिल एवं गंभीर मुद्दा था, क्या उसी तरह POK भी वापस लेकर कश्मीर में शामिल कर पायेगा?
यह सही है कि भारत सरकार ने धारा 370 हटा दी है जो एक बहुत ही जटिल और गंभीर मुद्दा था लेकिन भारत सरकार ने बड़ी चतुराई से समझदारी से इस धारा को हटाया है और हर तरीके के संभव प्रयास कर रही है ताकि जम्मू कश्मीर के आम जनता को इसका पूरा फायदा मिले व्यापार हो व्यवसाय हो ज्यादा से ज्यादा युवाओं को रोजगार मिले इसके लिए भारत सरकार हर संभव कदम उठा रही है और रही पीओके की बात वह भी पीओके के लिए भारत सरकार के लिए एक महत्वपूर्ण और गंभीर चुनौती है इसके लिए वह तरीके संभव हो सके उससे निपटे की लेकिन इतना आसान नहीं है को भारत में शामिल करने के लिए कई तरह की समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है जैसे ही पाकिस्तान एक कारगिल जैसा युद्ध कर सकता है अगर हम पीओके कुछ छीन लेते हैं पाकिस्तान से ले लेते हैं और वही और दूसरी तरफ अन्य देशों के लोग का साथ मिलना चाहिए अगर साथ नहीं मिलता है तो क्यों इतना आसान नहीं होगा लेना लेकिन भारत सरकार पीछे नहीं हटेगी और pok लेने के लिए तरह-तरह के हथकंडे नियम कानून कायदे हर तरीके का सहयोग लेगी कोशिश करेगी भारत सरकार आने वाले समय में पीओके भी अपने क्षेत्र में ले लेगी सबसे बड़ा फायदा यह है कि पीओके के लोग भी भारत में आना चाहते हैं वहां के लोग भारत से बहुत प्यार करते हैं भारत को बहुत चाहते हैं इसलिए पीओके के लोग भारत में आने के लिए आतुर हैं और वह खुशनसीब समझेंगे कि हम भारत में रह रहे हैं और रही बात वह नरेंद्र मोदी को बहुत सपोर्ट करते हैं धन्यवाद
सैमसंग कंपनी के मोबाइलों की बिक्री गिरने का मुख्य कारण क्या है?
अच्छी गुणवत्ता (quality) के मोबाइल फोन बनाने के बावजूद सैमसंग की बिक्री गिरने के कई कारण हैं । मैंने सैमसंग के कई फोन और अन्य प्रोडक्ट इस्तेमाल किया है और इसे अच्छा पाया है ।
ग्राहकों की उम्मीदों के अनुसार जल्दी बदलाव न लाने की गलती। ये गलती कई कंपनियों ने की है और उसकी भरपाई बड़े नुकसान के रूप में की है । एक समय नोकिया के फ़ीचर फोन मजबूती और सरल यूजर इंटरफेस (UI) के चलते बाजार पर कब्जा जमाये हुए थे । भारतीय ग्राहक बहुत लॉयल और संवेदनशील होते हैं । सैमसंग ने अच्छे क्वालिटी के सुंदर दिखने वाले फोन द्वारा नोकिया को चुनौती दी । दूसरे चरण में जब रंगीन डिस्प्ले वाले फोन और उसके बाद VGA कैमरा वाले फोन का जमाना आया तो नोकिया पर सैमसंग अपनी तकनीकी दक्षताओं के चलते भारी पड़ा । तीसरे चरण में शुरुआती स्मार्टफोन / मल्टी मीडिया फोन का जमाना याद कीजिये । यहां नोकिया के सिम्बियन ऑपरेटिंग सिस्टम, Carl Ziess Optics का प्रयोग करके अपना दबदबा बनाये रखने में सक्षम रहा । चौथे चरण में एंड्राइड ऑपरेटिंग सिस्टम की एंट्री हुई । सैमसंग ने गैलेक्सी श्रृंखला के स्मार्टफोन लॉन्च किए जो मजबूती, बढ़िया कैमरे, उच्च कोटि के डिस्प्ले से लैस थे । यहाँ नोकिया अपने सिम्बियन ऑपरेटिंग सिस्टम के मोह में फंसे होने के कारण पिछड़ गया । सैमसंग ने गैलेक्सी श्रृंखला में कई मूल्य वर्ग के स्मार्टफोन लॉन्च किए । धीरे धीरे ऍप्स और अन्य तकनीकी मामलों में सिम्बियन ओ. एस. पिछड़ता गया। इस तकनीकी बदलाव की बयार में दो सिम (Dual Sim) वाले मोबाइल फोन लॉन्च करने में नोकिया और सैमसंग दोनों पिछड़ गए जिसका फायदा निम्न श्रेणी की चायनीज कंपनियों ने उठाया । बाजार दो सिम (Dual Sim) वाले चाइनीज हैंडसेटों से पट गया जिनकी न कोई गारंटी/वारंटी थी और न ही सर्विस नेटवर्क । देर से जागी सैमसंग ने C 5212 लांच करके अपनी गलती सुधार ली लेकिन नोकिया अभी भी ग्राहकों को अपनी निजी जागीर समझे बैठा रहा और अंततः जब तक dual sim और एंड्रॉइड को अपनाता तब तक बहुत देर हो गई थी । नोकिया कम्पनी बिकी, जिसे माइक्रोसॉफ्ट ने खरीदा । बाद में माइक्रोसॉफ्ट ने HMD ग्लोबल को ये कम्पनी बेच दी ।
उधर सैमसंग सफलता के नए कीर्तिमान स्थापित करते हुए दुनिया का नम्बर 1 स्मार्टफोन निर्माता बना । प्रीमियम वर्ग में एप्पल एक बड़ा प्रतिद्वंद्वी बन कर उभरा । यद्यपि स्टीव जॉब्स की मृत्यु के बाद एप्पल के इन्नोवेशन और नए प्रोडक्ट की लॉन्चिंग में वो धार नहीं रही (ऐसा मेरा मानना है) . कुछ चाइनीज कम्पनियों के स्मार्टफोन अपनी गुणवत्ता और किफायती दाम के कारण विश्वस्तरीय चुनौती देने लगे । भारतीय बाजार में जियोनी, माइक्रोमैक्स, हुआवे, शाओमी,ऑप्पो, वीवो जैसी चाइनीज/ इंडो-चाइनीज कंपनियां अच्छे फीचर्स वाले स्मार्टफोन कम कीमतों में लॉन्च करने लगीं । शाओमी ने अपना असेम्बली संयंत्र भारत में लगाया । पैकेज पर बड़े अक्षरों में मेड इन इंडिया लिखवाना शुरू किया जिससे चाइनीज वस्तुओं का बहिष्कार अभियान के असर से बच सकें । शाओमी ने ऑनलाइन फ़्लैश-सेल का नया फंडा अपना कर अपनी जड़ें मजबूत कर लीं (विशेष रूप से स्मार्टफोन की मिड रेंज में) । वन प्लस ने एक नया सेगमेंट बनाया जो प्रीमियम फीचर्स वाले फोन कम क़ीमत में उपलब्ध कराने लगा ।(जैसे शक्तिमान ही गंगाधर था वैसे ही ऑप्पो, वीवो और वनप्लस भी मूलतः एक ही कम्पनी है)। हुआवे ने अलग से एक ऑनलाइन honor ब्रांड बनाकर शाओमी का पीछा किया ।
इन सब के बीच सैमसंग के स्मार्टफोन कम क्षमता के RAM और हैवी यूजर इंटरफेस के चलते हैंग होने की समस्या से ग्रसित थे। मिड रेंज में जब दूसरे निर्माता 2GB RAM वाले मिड रेंज के फोन बेच रहे थे तो सैमसंग सुस्त रफ्तार वाला फोन महंगे दाम में बेच रहा था । जब सैमसंग 2MP/5MP कैमरे वाले फोन बेच रहे थे तो दूसरे निर्माता 8MP/12MP कैमरे वाले फोन बेच रहे थे ।(यद्यपि सैमसंग का 5MP कैमरा कई 12MP कैमरों से अच्छा था लेकिन जनता तो आंकड़े देखती है) । दूसरे निर्माता 4GB RAM/ स्नैपड्रैगन प्रोसेसर वाले फोन बेचने लगे तब सैमसंग 2GB/3GB फोन में अटका था । जब पतले बेजल और बिना फिजिकल बटन वाले हैंड सेट आये तो सैमसंग मोटे बेजल का बादशाह बना बैठा था । सैमसंग दुनिया के बाकी देशों में स्नैपड्रैगन प्रोसेसर वाले प्रीमियम मॉडल हैंडसेट बेचती है और भारत में exynos प्रोसेसर वाले हैंडसेट बेचती है । सैमसंग के स्मार्टफोन में अन्य फोन की अपेक्षा सिस्टम अपडेट कम मिलता है या देर से मिलता है ।
कुल मिला कर जब एक बार मैदान में आपके पैर उखड़ गए तो फिर से पैर जमाना मुश्किल हो जाता है। इधर हाल में सैमसंग ने गैलेक्सी की A सीरीज और M सीरीज में अच्छे हैंडसेट लॉन्च किया है देखिए ग्राहक का मूड क्या होता है ।
ग्राहकों की उम्मीदों के अनुसार जल्दी बदलाव न लाने की गलती। ये गलती कई कंपनियों ने की है और उसकी भरपाई बड़े नुकसान के रूप में की है । एक समय नोकिया के फ़ीचर फोन मजबूती और सरल यूजर इंटरफेस (UI) के चलते बाजार पर कब्जा जमाये हुए थे । भारतीय ग्राहक बहुत लॉयल और संवेदनशील होते हैं । सैमसंग ने अच्छे क्वालिटी के सुंदर दिखने वाले फोन द्वारा नोकिया को चुनौती दी । दूसरे चरण में जब रंगीन डिस्प्ले वाले फोन और उसके बाद VGA कैमरा वाले फोन का जमाना आया तो नोकिया पर सैमसंग अपनी तकनीकी दक्षताओं के चलते भारी पड़ा । तीसरे चरण में शुरुआती स्मार्टफोन / मल्टी मीडिया फोन का जमाना याद कीजिये । यहां नोकिया के सिम्बियन ऑपरेटिंग सिस्टम, Carl Ziess Optics का प्रयोग करके अपना दबदबा बनाये रखने में सक्षम रहा । चौथे चरण में एंड्राइड ऑपरेटिंग सिस्टम की एंट्री हुई । सैमसंग ने गैलेक्सी श्रृंखला के स्मार्टफोन लॉन्च किए जो मजबूती, बढ़िया कैमरे, उच्च कोटि के डिस्प्ले से लैस थे । यहाँ नोकिया अपने सिम्बियन ऑपरेटिंग सिस्टम के मोह में फंसे होने के कारण पिछड़ गया । सैमसंग ने गैलेक्सी श्रृंखला में कई मूल्य वर्ग के स्मार्टफोन लॉन्च किए । धीरे धीरे ऍप्स और अन्य तकनीकी मामलों में सिम्बियन ओ. एस. पिछड़ता गया। इस तकनीकी बदलाव की बयार में दो सिम (Dual Sim) वाले मोबाइल फोन लॉन्च करने में नोकिया और सैमसंग दोनों पिछड़ गए जिसका फायदा निम्न श्रेणी की चायनीज कंपनियों ने उठाया । बाजार दो सिम (Dual Sim) वाले चाइनीज हैंडसेटों से पट गया जिनकी न कोई गारंटी/वारंटी थी और न ही सर्विस नेटवर्क । देर से जागी सैमसंग ने C 5212 लांच करके अपनी गलती सुधार ली लेकिन नोकिया अभी भी ग्राहकों को अपनी निजी जागीर समझे बैठा रहा और अंततः जब तक dual sim और एंड्रॉइड को अपनाता तब तक बहुत देर हो गई थी । नोकिया कम्पनी बिकी, जिसे माइक्रोसॉफ्ट ने खरीदा । बाद में माइक्रोसॉफ्ट ने HMD ग्लोबल को ये कम्पनी बेच दी ।
उधर सैमसंग सफलता के नए कीर्तिमान स्थापित करते हुए दुनिया का नम्बर 1 स्मार्टफोन निर्माता बना । प्रीमियम वर्ग में एप्पल एक बड़ा प्रतिद्वंद्वी बन कर उभरा । यद्यपि स्टीव जॉब्स की मृत्यु के बाद एप्पल के इन्नोवेशन और नए प्रोडक्ट की लॉन्चिंग में वो धार नहीं रही (ऐसा मेरा मानना है) . कुछ चाइनीज कम्पनियों के स्मार्टफोन अपनी गुणवत्ता और किफायती दाम के कारण विश्वस्तरीय चुनौती देने लगे । भारतीय बाजार में जियोनी, माइक्रोमैक्स, हुआवे, शाओमी,ऑप्पो, वीवो जैसी चाइनीज/ इंडो-चाइनीज कंपनियां अच्छे फीचर्स वाले स्मार्टफोन कम कीमतों में लॉन्च करने लगीं । शाओमी ने अपना असेम्बली संयंत्र भारत में लगाया । पैकेज पर बड़े अक्षरों में मेड इन इंडिया लिखवाना शुरू किया जिससे चाइनीज वस्तुओं का बहिष्कार अभियान के असर से बच सकें । शाओमी ने ऑनलाइन फ़्लैश-सेल का नया फंडा अपना कर अपनी जड़ें मजबूत कर लीं (विशेष रूप से स्मार्टफोन की मिड रेंज में) । वन प्लस ने एक नया सेगमेंट बनाया जो प्रीमियम फीचर्स वाले फोन कम क़ीमत में उपलब्ध कराने लगा ।(जैसे शक्तिमान ही गंगाधर था वैसे ही ऑप्पो, वीवो और वनप्लस भी मूलतः एक ही कम्पनी है)। हुआवे ने अलग से एक ऑनलाइन honor ब्रांड बनाकर शाओमी का पीछा किया ।
इन सब के बीच सैमसंग के स्मार्टफोन कम क्षमता के RAM और हैवी यूजर इंटरफेस के चलते हैंग होने की समस्या से ग्रसित थे। मिड रेंज में जब दूसरे निर्माता 2GB RAM वाले मिड रेंज के फोन बेच रहे थे तो सैमसंग सुस्त रफ्तार वाला फोन महंगे दाम में बेच रहा था । जब सैमसंग 2MP/5MP कैमरे वाले फोन बेच रहे थे तो दूसरे निर्माता 8MP/12MP कैमरे वाले फोन बेच रहे थे ।(यद्यपि सैमसंग का 5MP कैमरा कई 12MP कैमरों से अच्छा था लेकिन जनता तो आंकड़े देखती है) । दूसरे निर्माता 4GB RAM/ स्नैपड्रैगन प्रोसेसर वाले फोन बेचने लगे तब सैमसंग 2GB/3GB फोन में अटका था । जब पतले बेजल और बिना फिजिकल बटन वाले हैंड सेट आये तो सैमसंग मोटे बेजल का बादशाह बना बैठा था । सैमसंग दुनिया के बाकी देशों में स्नैपड्रैगन प्रोसेसर वाले प्रीमियम मॉडल हैंडसेट बेचती है और भारत में exynos प्रोसेसर वाले हैंडसेट बेचती है । सैमसंग के स्मार्टफोन में अन्य फोन की अपेक्षा सिस्टम अपडेट कम मिलता है या देर से मिलता है ।
कुल मिला कर जब एक बार मैदान में आपके पैर उखड़ गए तो फिर से पैर जमाना मुश्किल हो जाता है। इधर हाल में सैमसंग ने गैलेक्सी की A सीरीज और M सीरीज में अच्छे हैंडसेट लॉन्च किया है देखिए ग्राहक का मूड क्या होता है ।
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