अच्छी गुणवत्ता (quality) के मोबाइल फोन बनाने के बावजूद सैमसंग की बिक्री गिरने के कई कारण हैं । मैंने सैमसंग के कई फोन और अन्य प्रोडक्ट इस्तेमाल किया है और इसे अच्छा पाया है ।
ग्राहकों की उम्मीदों के अनुसार जल्दी बदलाव न लाने की गलती। ये गलती कई कंपनियों ने की है और उसकी भरपाई बड़े नुकसान के रूप में की है । एक समय नोकिया के फ़ीचर फोन मजबूती और सरल यूजर इंटरफेस (UI) के चलते बाजार पर कब्जा जमाये हुए थे । भारतीय ग्राहक बहुत लॉयल और संवेदनशील होते हैं । सैमसंग ने अच्छे क्वालिटी के सुंदर दिखने वाले फोन द्वारा नोकिया को चुनौती दी । दूसरे चरण में जब रंगीन डिस्प्ले वाले फोन और उसके बाद VGA कैमरा वाले फोन का जमाना आया तो नोकिया पर सैमसंग अपनी तकनीकी दक्षताओं के चलते भारी पड़ा । तीसरे चरण में शुरुआती स्मार्टफोन / मल्टी मीडिया फोन का जमाना याद कीजिये । यहां नोकिया के सिम्बियन ऑपरेटिंग सिस्टम, Carl Ziess Optics का प्रयोग करके अपना दबदबा बनाये रखने में सक्षम रहा । चौथे चरण में एंड्राइड ऑपरेटिंग सिस्टम की एंट्री हुई । सैमसंग ने गैलेक्सी श्रृंखला के स्मार्टफोन लॉन्च किए जो मजबूती, बढ़िया कैमरे, उच्च कोटि के डिस्प्ले से लैस थे । यहाँ नोकिया अपने सिम्बियन ऑपरेटिंग सिस्टम के मोह में फंसे होने के कारण पिछड़ गया । सैमसंग ने गैलेक्सी श्रृंखला में कई मूल्य वर्ग के स्मार्टफोन लॉन्च किए । धीरे धीरे ऍप्स और अन्य तकनीकी मामलों में सिम्बियन ओ. एस. पिछड़ता गया। इस तकनीकी बदलाव की बयार में दो सिम (Dual Sim) वाले मोबाइल फोन लॉन्च करने में नोकिया और सैमसंग दोनों पिछड़ गए जिसका फायदा निम्न श्रेणी की चायनीज कंपनियों ने उठाया । बाजार दो सिम (Dual Sim) वाले चाइनीज हैंडसेटों से पट गया जिनकी न कोई गारंटी/वारंटी थी और न ही सर्विस नेटवर्क । देर से जागी सैमसंग ने C 5212 लांच करके अपनी गलती सुधार ली लेकिन नोकिया अभी भी ग्राहकों को अपनी निजी जागीर समझे बैठा रहा और अंततः जब तक dual sim और एंड्रॉइड को अपनाता तब तक बहुत देर हो गई थी । नोकिया कम्पनी बिकी, जिसे माइक्रोसॉफ्ट ने खरीदा । बाद में माइक्रोसॉफ्ट ने HMD ग्लोबल को ये कम्पनी बेच दी ।
उधर सैमसंग सफलता के नए कीर्तिमान स्थापित करते हुए दुनिया का नम्बर 1 स्मार्टफोन निर्माता बना । प्रीमियम वर्ग में एप्पल एक बड़ा प्रतिद्वंद्वी बन कर उभरा । यद्यपि स्टीव जॉब्स की मृत्यु के बाद एप्पल के इन्नोवेशन और नए प्रोडक्ट की लॉन्चिंग में वो धार नहीं रही (ऐसा मेरा मानना है) . कुछ चाइनीज कम्पनियों के स्मार्टफोन अपनी गुणवत्ता और किफायती दाम के कारण विश्वस्तरीय चुनौती देने लगे । भारतीय बाजार में जियोनी, माइक्रोमैक्स, हुआवे, शाओमी,ऑप्पो, वीवो जैसी चाइनीज/ इंडो-चाइनीज कंपनियां अच्छे फीचर्स वाले स्मार्टफोन कम कीमतों में लॉन्च करने लगीं । शाओमी ने अपना असेम्बली संयंत्र भारत में लगाया । पैकेज पर बड़े अक्षरों में मेड इन इंडिया लिखवाना शुरू किया जिससे चाइनीज वस्तुओं का बहिष्कार अभियान के असर से बच सकें । शाओमी ने ऑनलाइन फ़्लैश-सेल का नया फंडा अपना कर अपनी जड़ें मजबूत कर लीं (विशेष रूप से स्मार्टफोन की मिड रेंज में) । वन प्लस ने एक नया सेगमेंट बनाया जो प्रीमियम फीचर्स वाले फोन कम क़ीमत में उपलब्ध कराने लगा ।(जैसे शक्तिमान ही गंगाधर था वैसे ही ऑप्पो, वीवो और वनप्लस भी मूलतः एक ही कम्पनी है)। हुआवे ने अलग से एक ऑनलाइन honor ब्रांड बनाकर शाओमी का पीछा किया ।
इन सब के बीच सैमसंग के स्मार्टफोन कम क्षमता के RAM और हैवी यूजर इंटरफेस के चलते हैंग होने की समस्या से ग्रसित थे। मिड रेंज में जब दूसरे निर्माता 2GB RAM वाले मिड रेंज के फोन बेच रहे थे तो सैमसंग सुस्त रफ्तार वाला फोन महंगे दाम में बेच रहा था । जब सैमसंग 2MP/5MP कैमरे वाले फोन बेच रहे थे तो दूसरे निर्माता 8MP/12MP कैमरे वाले फोन बेच रहे थे ।(यद्यपि सैमसंग का 5MP कैमरा कई 12MP कैमरों से अच्छा था लेकिन जनता तो आंकड़े देखती है) । दूसरे निर्माता 4GB RAM/ स्नैपड्रैगन प्रोसेसर वाले फोन बेचने लगे तब सैमसंग 2GB/3GB फोन में अटका था । जब पतले बेजल और बिना फिजिकल बटन वाले हैंड सेट आये तो सैमसंग मोटे बेजल का बादशाह बना बैठा था । सैमसंग दुनिया के बाकी देशों में स्नैपड्रैगन प्रोसेसर वाले प्रीमियम मॉडल हैंडसेट बेचती है और भारत में exynos प्रोसेसर वाले हैंडसेट बेचती है । सैमसंग के स्मार्टफोन में अन्य फोन की अपेक्षा सिस्टम अपडेट कम मिलता है या देर से मिलता है ।
कुल मिला कर जब एक बार मैदान में आपके पैर उखड़ गए तो फिर से पैर जमाना मुश्किल हो जाता है। इधर हाल में सैमसंग ने गैलेक्सी की A सीरीज और M सीरीज में अच्छे हैंडसेट लॉन्च किया है देखिए ग्राहक का मूड क्या होता है ।
ग्राहकों की उम्मीदों के अनुसार जल्दी बदलाव न लाने की गलती। ये गलती कई कंपनियों ने की है और उसकी भरपाई बड़े नुकसान के रूप में की है । एक समय नोकिया के फ़ीचर फोन मजबूती और सरल यूजर इंटरफेस (UI) के चलते बाजार पर कब्जा जमाये हुए थे । भारतीय ग्राहक बहुत लॉयल और संवेदनशील होते हैं । सैमसंग ने अच्छे क्वालिटी के सुंदर दिखने वाले फोन द्वारा नोकिया को चुनौती दी । दूसरे चरण में जब रंगीन डिस्प्ले वाले फोन और उसके बाद VGA कैमरा वाले फोन का जमाना आया तो नोकिया पर सैमसंग अपनी तकनीकी दक्षताओं के चलते भारी पड़ा । तीसरे चरण में शुरुआती स्मार्टफोन / मल्टी मीडिया फोन का जमाना याद कीजिये । यहां नोकिया के सिम्बियन ऑपरेटिंग सिस्टम, Carl Ziess Optics का प्रयोग करके अपना दबदबा बनाये रखने में सक्षम रहा । चौथे चरण में एंड्राइड ऑपरेटिंग सिस्टम की एंट्री हुई । सैमसंग ने गैलेक्सी श्रृंखला के स्मार्टफोन लॉन्च किए जो मजबूती, बढ़िया कैमरे, उच्च कोटि के डिस्प्ले से लैस थे । यहाँ नोकिया अपने सिम्बियन ऑपरेटिंग सिस्टम के मोह में फंसे होने के कारण पिछड़ गया । सैमसंग ने गैलेक्सी श्रृंखला में कई मूल्य वर्ग के स्मार्टफोन लॉन्च किए । धीरे धीरे ऍप्स और अन्य तकनीकी मामलों में सिम्बियन ओ. एस. पिछड़ता गया। इस तकनीकी बदलाव की बयार में दो सिम (Dual Sim) वाले मोबाइल फोन लॉन्च करने में नोकिया और सैमसंग दोनों पिछड़ गए जिसका फायदा निम्न श्रेणी की चायनीज कंपनियों ने उठाया । बाजार दो सिम (Dual Sim) वाले चाइनीज हैंडसेटों से पट गया जिनकी न कोई गारंटी/वारंटी थी और न ही सर्विस नेटवर्क । देर से जागी सैमसंग ने C 5212 लांच करके अपनी गलती सुधार ली लेकिन नोकिया अभी भी ग्राहकों को अपनी निजी जागीर समझे बैठा रहा और अंततः जब तक dual sim और एंड्रॉइड को अपनाता तब तक बहुत देर हो गई थी । नोकिया कम्पनी बिकी, जिसे माइक्रोसॉफ्ट ने खरीदा । बाद में माइक्रोसॉफ्ट ने HMD ग्लोबल को ये कम्पनी बेच दी ।
उधर सैमसंग सफलता के नए कीर्तिमान स्थापित करते हुए दुनिया का नम्बर 1 स्मार्टफोन निर्माता बना । प्रीमियम वर्ग में एप्पल एक बड़ा प्रतिद्वंद्वी बन कर उभरा । यद्यपि स्टीव जॉब्स की मृत्यु के बाद एप्पल के इन्नोवेशन और नए प्रोडक्ट की लॉन्चिंग में वो धार नहीं रही (ऐसा मेरा मानना है) . कुछ चाइनीज कम्पनियों के स्मार्टफोन अपनी गुणवत्ता और किफायती दाम के कारण विश्वस्तरीय चुनौती देने लगे । भारतीय बाजार में जियोनी, माइक्रोमैक्स, हुआवे, शाओमी,ऑप्पो, वीवो जैसी चाइनीज/ इंडो-चाइनीज कंपनियां अच्छे फीचर्स वाले स्मार्टफोन कम कीमतों में लॉन्च करने लगीं । शाओमी ने अपना असेम्बली संयंत्र भारत में लगाया । पैकेज पर बड़े अक्षरों में मेड इन इंडिया लिखवाना शुरू किया जिससे चाइनीज वस्तुओं का बहिष्कार अभियान के असर से बच सकें । शाओमी ने ऑनलाइन फ़्लैश-सेल का नया फंडा अपना कर अपनी जड़ें मजबूत कर लीं (विशेष रूप से स्मार्टफोन की मिड रेंज में) । वन प्लस ने एक नया सेगमेंट बनाया जो प्रीमियम फीचर्स वाले फोन कम क़ीमत में उपलब्ध कराने लगा ।(जैसे शक्तिमान ही गंगाधर था वैसे ही ऑप्पो, वीवो और वनप्लस भी मूलतः एक ही कम्पनी है)। हुआवे ने अलग से एक ऑनलाइन honor ब्रांड बनाकर शाओमी का पीछा किया ।
इन सब के बीच सैमसंग के स्मार्टफोन कम क्षमता के RAM और हैवी यूजर इंटरफेस के चलते हैंग होने की समस्या से ग्रसित थे। मिड रेंज में जब दूसरे निर्माता 2GB RAM वाले मिड रेंज के फोन बेच रहे थे तो सैमसंग सुस्त रफ्तार वाला फोन महंगे दाम में बेच रहा था । जब सैमसंग 2MP/5MP कैमरे वाले फोन बेच रहे थे तो दूसरे निर्माता 8MP/12MP कैमरे वाले फोन बेच रहे थे ।(यद्यपि सैमसंग का 5MP कैमरा कई 12MP कैमरों से अच्छा था लेकिन जनता तो आंकड़े देखती है) । दूसरे निर्माता 4GB RAM/ स्नैपड्रैगन प्रोसेसर वाले फोन बेचने लगे तब सैमसंग 2GB/3GB फोन में अटका था । जब पतले बेजल और बिना फिजिकल बटन वाले हैंड सेट आये तो सैमसंग मोटे बेजल का बादशाह बना बैठा था । सैमसंग दुनिया के बाकी देशों में स्नैपड्रैगन प्रोसेसर वाले प्रीमियम मॉडल हैंडसेट बेचती है और भारत में exynos प्रोसेसर वाले हैंडसेट बेचती है । सैमसंग के स्मार्टफोन में अन्य फोन की अपेक्षा सिस्टम अपडेट कम मिलता है या देर से मिलता है ।
कुल मिला कर जब एक बार मैदान में आपके पैर उखड़ गए तो फिर से पैर जमाना मुश्किल हो जाता है। इधर हाल में सैमसंग ने गैलेक्सी की A सीरीज और M सीरीज में अच्छे हैंडसेट लॉन्च किया है देखिए ग्राहक का मूड क्या होता है ।
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