बसंत पंचमी - भाषण
नमस्कार! आदरणीय शिक्षकगण और मेरे प्यारे सहपाठियों!
आज के शुभ दिन पर मैं आप सबके सामने बसंत पंचमी के पर्व पर कुछ शब्द कहना चाहता/चाहती हूँ। बसंत पंचमी सिर्फ त्योहार नहीं, बल्कि प्रकृति और ज्ञान के संगम का प्रतीक है।
सर्दियों की कठोर विदाई और बहार के आगमन का ये पर्व हमें खुशियों से भर देता है। चारों ओर पीले रंग की छटा, पेड़ों पर नई पत्तियां, फूलों की खुशबू - मानो प्रकृति नए साल का स्वागत कर रही हो।
इसी पावन अवसर पर हम ज्ञान की देवी मां सरस्वती की पूजा करते हैं। पीले वस्त्र पहनकर हम पुस्तकें और वीणा को सामने रखते हैं, विद्या प्राप्ति का आशीर्वाद मांगते हैं। मां सरस्वती हमें ज्ञान, कला और वाणी का वरदान देती हैं।
बसंत पंचमी सिर्फ विद्यार्थियों के लिए ही ख़ास नहीं है। यह पर्व हमें प्रकृति से जुड़ने और जीवन में नई शुरुआत करने की सीख भी देता है। पतंग उड़ाना, रंगोली बनाना और पीले रंग का भोजन बनाना इस त्योहार के उत्साह को और बढ़ा देते हैं।
आइए हम इस बसंत पंचमी के पर्व पर मां सरस्वती का आशीर्वाद लें और ज्ञान के प्रकाश को अपने जीवन में भरने का संकल्प करें। साथ ही प्रकृति के सौंदर्य का आनंद लें और खुशियाँ बाँटें।
धन्यवाद!
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